गया न कोई दर से खाली होती हर दिल की आस है पूरी गया न कोई दर से खाली होती हर दिल की आस है पूरी
प्रेम में पूरा शहर एक छत बन जाता है प्रेम में पूरा शहर एक छत बन जाता है
दर्द के बीच में हमदर्द ढूँढता हूँ आजकल कांटों में छुपे फूल ढूँढता दर्द के बीच में हमदर्द ढूँढता हूँ आजकल कांटों में छुपे फूल ढूँढता
जीवन की द्रुत मंझधार में, हिलोरें लेते उफनते ज्वार में, जीवन की द्रुत मंझधार में, हिलोरें लेते उफनते ज्वार में,
फैल रहा है भ्रष्टाचार हो रहा व्यभिचार कितने रावण अभी जिंदा हैं। फैल रहा है भ्रष्टाचार हो रहा व्यभिचार कितने रावण अभी जिंदा हैं।